भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 231
आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्ध कराने के आशय से मिथ्या साक्ष्य देना या गढना
जो कोई इस आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए कि एतद्द्वारा वह किसी व्यक्ति को ऐसे अपराध के लिए, जो भारत में तत्समय प्रवृत्त विधि द्वारा मृत्यु से दण्डनीय न हो किन्तु आजीवन कारावास या सात वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दण्डनीय हो, दोषसिद्ध कराए, मिथ्या साक्ष्य देगा या गढ़ेगा, वह वैसे ही दण्डित किया जाएगा, जैसे वह व्यक्ति दण्डनीय होता जो उस अपराध के लिए दोषसिद्ध होता।
उदाहरण:- राजेश न्यायालय के समक्ष इस आशय से मिथ्या साक्ष्य देता है कि एतद्वारा मोहन डकैती के लिए दोषसिद्ध किया जाए। डकैती का दण्ड जुर्माना सहित या रहित आजीवन कारावास या ऐसा कठिन कारावास है, जो दस वर्ष तक की अवधि का हो सकता है। राजेश इसलिए जुर्माने सहित या रहित आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय है।
अपराध का वर्गीकरण
सजा:- वही जो उस अपराध के लिए है
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता
अघ्याय 2 की सारी धाराएं विचारण के पहले की (इनके प्रारूप ऊपर हेड में दिए गए है)